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बिहार आरक्षण कानून रद्द:किन राज्यों में कितना रिजर्वेशन       चीफ़ ब्यूरो कमलेश पाण्डेय           8382048247

बिहार आरक्षण कानून रद्द:किन राज्यों में कितना रिजर्वेशन       चीफ़ ब्यूरो कमलेश पाण्डेय           8382048247


तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।

 

पटना हाईकोर्ट ने 20 जून को बिहार आरक्षण कानून को रद्द कर दिया है। लेकिन देश के कई राज्यों में 55 फीसदी से ज्यादा आरक्षण हैं। जिसमें सबसे ज्यादा सिक्किम में 85%,तमिलनाडु में 69%, राजस्थान में 64% और यूपी में 60% आरक्षण है।मंडल कमीशन ने उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय जिसमें कहा गया था कि आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय सेवाओं में 52% ओबीसी के लिए मात्र 27% कोटा की सिफारिश किया था,क्योंकि पहले से एससी को 15% और एसटी को 7.5% आरक्षण कोटा मिल रहा था।अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग आरक्षण कोटा की व्यवस्था है।एससी,एसटी को तो राज्यों में जनसंख्यानुपात में आरक्षण की व्यवस्था है,पर तमाम राज्यों में ओबीसी को 27% भी कोटा नहीं है।
*भारतीय संविधान के अनुच्छेद-15(4),16(4) व 16(4-1) में सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन को पिछड़ा वर्ग आधार बनाया गया है।संविधान में कहीं भी आर्थिक पिछङापन के आधार पर आरक्षण देने का कोई प्राविधान नहीं है,के बावजूद भाजपा सरकार ने संविधान संशोधन कर अनुच्छेद-15 व 16 उपधारा 6 जोङकर आर्थिक रूप पिछड़ी या 8 लाख वार्षिक आय वर्ग की सवर्ण जातियों को 10 प्रतिशत कोटा दे दिया।बताते चले कि पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार से आर्थिक आधार पर 1992 में 10 प्रतिशत सवर्ण जातियों को आरक्षण देने का शासनादेश जारी किया था। मंडल कमीशन की सिफारिश के आधार पर वी.पी सरकार द्वारा दिये गये 27 प्रतिशत ओबीसी को चुनौती देने वाली इंदिरा साहनी वनाम भारत सरकार (एआईआर,एससी-344) के मामले की सुनवाई में 9 न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ ने 16 नवम्बर 1992 को आर्थिक आधार पर आरक्षण को असंवैधानिक करार दे दिया था।मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने संविधान व शीर्ष न्यायालय से परे जाते हुए संविधान संशोधन के माध्यम से 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा दे दिया। सवर्ण जातियों को 10 प्रतिशत आर्थिक आधार पर ईडब्ल्यूएस कोटा के बाद जब 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा टूट गयी तो ओबीसी आरक्षण कोटा के विस्तारीकरण पर ही न्यायालय का हथौड़ा क्यों चल जाता है। अधिकांशतः राज्यों में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा लागू कर दिया गया,जबकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,तेलंगाना,गोवा,आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में सामान्य वर्ग की आबादी 10 प्रतिशत से भी कम है।*
बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वेक्षण 2023 में करा जातिगत आधार पर एससी, एसटी, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के आरक्षण का दायरा 65 प्रतिशत तक बढ़ाया। यह काम मंडल कमीशन की अनुशंसा के अनुसार 30 वर्ष बाद समीक्षा करने की पहल थी। हालांकि पटना हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। वैसे देश के अलग-अलग राज्यों में आरक्षण सीमा में अंतर है। वर्गों की आबादी के हिसाब से आरक्षण तय किया गया है। देश के कर्ड राज्यों में आरक्षण की सीमा 60 फीसदी से अधिक है।सिक्किम में 85 फीसदी आरक्षण है। इसमें 7 फीसदी एससी,18 फिसदी एसटी,
40 फिसदी ओबीसी और 20 फीसदी अन्य स्थानीय समुदाय के
लिए तय है। राजस्थान में 64 फीसदी आरक्षण है। इसमें 16
फीसदी एससी, 12 फीसदी एसटी, 21 फीसदी ओबीसी, 10 फीसदी गरीब सवर्ण और 5 फीसदी एमबीसी वर्ग के लिए है। तमिलनाडु में 69 फीसदी
आरक्षण में 18 फीसदी एससी, एक फीसदी एसटी और 50 फीसदी ओबीसी/एमबीसी का है। तेलंगाना में 54 फीसदी आरक्षण है। इसमें 15 फीसदी एससी, 29 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा निर्धारित है।

उत्तर प्रदेश में कुल 60 फीसदी आरक्षण में 21 फीसदी एससी, 2 फीसदी एसटी, 27 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है। पश्चिम बंगाल में 55 फीसदी आरक्षण में 22 फीसदी एससी, 6 फीसदी एसटी, 17 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है। ओडिशा में 59 फीसदी आरक्षण है, इसमें 16 फीसदी एसटी, 22 फीसदी एसटी, 11 फीसदी ओबीसी और 10 फ़ीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है।
उत्तराखंड में सिर्फ 47 फीसदी आरक्षण है। इसमें 19 फीसदी एससी, 4 फीसदी एसटी, 14 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है। मध्यप्रदेश में 60 फीसदी आरक्षण में 16 फीसदी एससी, 20 फीसदी एसटी, 14 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए निर्धारित है। केरल में भी 60 फीसदी आरक्षण है, इसमें 8 फीसदी एससी, 2 फीसदी एसटी, 40 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है। गुजरात तें 58 फीसदी आरक्षण में 7 फीसदी एससी, 14 फीसदी एसटी, 27 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है।
केन्द्रीय राजधानी दिल्ली में 59 फीसदी आरक्षण में 15 फीसदी एससी, 7 फीसदी एसटी, 27 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है। छत्तीसगढ़ में 69 फीसदी आरक्षण में 13 फीसदी एससी, 32 फीसदी एसटी, 14 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है। झारखंड में 60 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। इसमें 10 फीसदी एससी, 26 फीसदी एसटी, 14 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए है।
केन्द्र शासित राज्य लक्षद्वीप एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जहां एसटी वर्ग के लोगों के लिए 100 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। इसके अलावा पूर्वोतर राज्यों मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में 80 फीसदी आरक्षण सिर्फ एसटी समुदाय के लिए है। अन्य किसी वर्ग को यहां कोई आरक्षण नहीं है। वहीं, मणिपुर में एससी को 3 फीसदी, एसटी को 34 फीसदी और ओबीसी को 17 फीसदी यानी कुल 54 फीसदी आरक्षण लागू है।
केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 50 फीसदी आरक्षण में 38 फीसदी ओबीसी व 12 फीसदी एसटी को आरक्षण कोटा है।दादरा नागर हवेली और दमन-दीव में 39 फीसदी आरक्षण में 27 फीसदी ओबीसी,3 फीसदी एससी व 9 फीसदी एसटी को आरक्षण है। गोवा के 51 फीसदी आरक्षण में 27 फीसदी ओबीसी,2 फिसदी एससी,12 फिसदी एसटी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस का आरक्षण है। इसी तरह मणिपुर के 54 फीसदी आरक्षण में 17 फीसदी ओबीसी,3 फीसदी एससी व 34 फीसदी एसटी को आरक्षण दीया गया है।हरियाणा के 53 फीसदी आरक्षण में 2÷ फीसदी ओबीसी,20 फीसदी एससी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा है।
महाराष्ट्र के 52 फीसदी आरक्षण कोटा में 19 फीसदी ओबीसी,13 फीसदी एससी,7 फीसदी एसटी,3 फिसदी विमुक्त जनजाति,2.5 फीसदी भटक्या जाति-बी,3.5 फिसदी भटक्या जनजाति-सी,2 फीसदी भटक्या जनजाति-डी और 2 फीसदी विशेष पिछड़ावर्ग को कोटा है।केरल में 40 फीसदी ओबीसी,8 फीसदी एससख,2 फीसदी एसटी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस सहित 60 फीसदी आरक्षण है।ओड़िशा के 59 फीसदी आरक्षण कोटा में 11 फिसदी ओबीसी,16 फीसदी एससी,22 फीसदी एसटी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस को कोटा दिया गया है। हिमाचल प्रदेश के 59 फीसदी आरक्षण में 20 फिसदी ओबीसी,25 फीसदी एससी,4 फिसदी एसटी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस को कोटा है।
आंध्र प्रदेश के 60 फीसदी आरक्षण कोटा में 29 फीसदी ओबीसी,15 फिसदी एससी,6 फीसदी एसटी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस को कोटा दिया गया है। असम में कुल 59 फीसदी आरक्षण है,जिसमें 27 फीसदी ओबीसी,7 फीसदी एससी,15 फीसदी एसटी को कोटा मिला हुआ है। त्रिपुरा राज्य के 60 फीसदी आरक्षण में 2 फीसदी ओबीसी,17 फीसदी एससी,31 फिसदी एसटी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस का आरक्षण है।सिक्किम के 65 फीसदी आरक्षण कोटा में 40 फीसदी ओबीसी,7 फीसदी एससी व 18 फीसदी एसटी को कोटा दिया गया है। पुड्डुचेरी में 50 फीसदी आरक्षण कोटा दिया है जिसमें 34 फीसदी ओबीसी.और 16 फीसदी एससी का कोटा है।


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