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सनातन धर्म में गाय के मूत्र को क्यों माना जाता है पवित्र, क्या है इसके पीछे का विज्ञान तर्क?

सनातन धर्म में गाय के मूत्र को क्यों माना जाता है पवित्र, क्या है इसके पीछे का विज्ञान तर्क?


तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।

सनातन धर्म में गाय के मूत्र को क्यों माना जाता है पवित्र, क्या है इसके पीछे का विज्ञान तर्क?

हिंदू धर्म में गाय को बहुत ही पवित्र माना गया है। अनेक अवसरों पर गाय की पूजा भी हिंदू धर्म में की जाती है। गाय का दूध, गोबर और मूत्र को भी बहुत पवित्र माना गया है। प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग विभिन्न कामों में करते आ रहे हैं। मान्यता है कि नियमित रूप से गौमूत्र पीने से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। गाय के महत्व को लेकर हमारे शास्त्रों में कहा गया है,

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।

तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥

अर्थात् जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं॥

सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः।

गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्॥

अर्थात् प्रतिदिन यह प्रार्थना करनी चाहिये कि सुन्दर एवं अनेक प्रकार के रूप-रंग वाली विश्वरूपिणी गोमाताएं सदा मेरे निकट आयें ।

गौमूत्र में ऐसी क्या खास बात है जो प्राचीन काल से ही इसका महत्व बना हुआ है।

इसका वैज्ञानिक महत्व इस प्रकार है…(गौमूत्र से होने वाले फायदे…)

– आयुर्वेद के अनुसार, गौमूत्र विष नाशक, जीवाणु नाशक और जल्‍द ही पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्‍फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम, यूरिक एसिड, क्‍लोराइड और सोडियम पाया जाता है।

– गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम , श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है।

– आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीनों दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।

– दिमागी टेंशन की वजह से नर्वस सिस्‍टम पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन गौमूत्र पीने से दिमाग और दिल दोनों को ही ताकत मिलती है और उन्‍हें किसी भी किस्‍म की कोई बीमारी नहीं होती।

– शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए गौमूत्र पीना बहुत लाभदायक है।

– शारीरिक कमजोरी और मोटापा दूर करने के लिए भी गौमूत्र का सेवन लाभकारी होता है।

पहाड़ी इलाके की गाय का मूत्र माना गया है ज्यादा फायदेमंद

– पहाड़ों पर, जंगल में तथा चट्टानों पर चरने वाली गाय का गोमूत्र को आयुर्वेद की द्रष्टी से ज्यादा फायदेमंद माना गया है। क्योंकि इन क्षेत्रों की गाय हरी घास के साथ इन क्षेत्रों में होने वाली औषधियों का भी सेवन करती है जिससे उनका असर उनके दूध व मूत्र में आ जाता है और उनके सेवन से लाभ मिलता है।

– अगर कोई गाय ने बछड़े को जन्म दिया है तो ऐसी गाय का दूध या गोमूत्र बहुत फ़ायदेमंद होता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं। वैज्ञानिक भाषा में बहुत स्वास्थ्यवर्धक हार्मोन और मिनरल पाए जाने है।

–गोमूत्र आसवन से कैंसररोधी प्राकृतिक एजेंट ‘टैक्सोल’ (पैक्लिटैक्सेल) का जैव-संवर्द्धन होता है।

पेटेंट नंबर US6410059B1, गोमूत्र आसवन और किसी एंटीबायोटिक से मिलकर बनी औषधीय संरचना से जुड़ा है. इस पेटेंट के बारे में ज़्यादा जानकारी–

–इस पेटेंट के तहत, गोमूत्र आसवन और एंटीबायोटिक से मिलकर औषधीय संरचना बनाई जाती है।

–इस पेटेंट के तहत, गोमूत्र आसवन को ऑक्सीडेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

–इस पेटेंट के तहत, गोमूत्र आसवन को एंटी-इंफ़ेक्टिव और एंटीकैंसर एजेंटों को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

–इस पेटेंट के तहत, गोमूत्र आसवन से डीएनए को ऑक्सीडेटिव नुकसान से बचाया और/या ठीक किया जाता है।

–इस पेटेंट के तहत, गोमूत्र आसवन को डीएनए को बचाने और ठीक करने के तरीके के लिए इस्तेमाल किया जाता है

जाग्रत सनातन सेना

(अंजनी भारद्वाज, अमित मिश्रा, कृष्ण मुरारी)

 

7800085586 , 96954 24530


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