
चलेगी जब तेरी यादों की पुरवाई तो क्या होगा : महिपाल सिंह
तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।
रिज़वान सिद्दीकी
बिजनौर / हल्दौर।
देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था हिंदी की गूंज द्वारा बासंती काव्य संध्या का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोनों से संस्था के शाखा प्रभारी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉक्टर ममता श्रीवास्तव की मधुर आवाज में केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित बसंत गीत हवा हूँ हवा में बसंती हवा से हुआ तत्पश्चात् हिंदी की गूंज के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार ने सभी साहित्य मनीषियों का स्वागत करते हुए वसंत काव्य संध्या के उद्देश्य तथा हिंदी की गूंज संस्था के कार्यों के बारे में सभी को बताया हल्द्वानी शाखा प्रभारी निर्मला जोशी ने वसंत का स्वागत करते हुए पीत वर्णी आभा लिए आ गया बसंत, बाल वृद्ध युवा सभी को भा गया बसंत गीत सुनाया। महिपाल सिंह ने चलेगी जब तेरी यादों की पुरवाई तो क्या होगा गीत सुना कर माहौल को खुशनुमा बना दिया। हाथरस से जुड़ी मंजू शमां ने अपने कोकिल कंठ से ऐसा लाग्यो आया बसंत रे वसंत विरज की शोभा लाग्यो न्यारी है गीत सुनकर सभी का मन मोह लिया तो वही डॉक्टर वर्षा सिंह ने बसंत के दोहे सुनाए। इस अवसर पर नरेंद्र सिंह नीहार द्वारा रचित एवं रानी गुप्ता की स्वर लहरियों में गाए गीत का वीडियो प्रसारित हुआ। अतुल खरे ने खोज रहा हूं उन शब्दों को जिनसे कोई गीत लिखूं गीत सुना कर शब्दों के महत्व को बताया तो वहीं नरेंद्र सिंह नीहार ने तीर नैनों के चल किस ओर से उड़ गया आंचल हवा के जोर से गीत सुनाकर कार्यक्रम को हास्य से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर ममता श्रीवास्तव ने किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में श्याम सुंदर श्रीवास्तव ने सभी की प्रस्तुतियों की प्रशंसा की तथा हिंदी की गूंज द्वारा आयोजित इतने सुंदर कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए संस्था के उज्जवल भविष्य की लिए शुभकामना दी। उन्होंने अपने गीत भोरे मंडराने लगे मृदु कलियों के पास, लगता है सखी आ गया भू तल पर मधुमास गीत सुनकर बसंत ऋतु के आगमन की घोषणा की। गिरीश चंद्र जोशी, डॉक्टर . संजय सिंह तथा संस्था के अन्य सदस्यों ने अपने संदेशों के माध्यम से कार्यक्रम में चार यांद लगाए।