
दुद्धी, सोनभद्र शासन द्वारा ग्राम पंचायतो में होने वाले कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए फर्म के माध्यम से विकास कार्य कराने का शासनादेश लागू
तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।
चीफ़ ब्यूरो कमलेश पाण्डेय
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दुद्धी, सोनभद्र।शासन द्वारा ग्राम पंचायतो में होने वाले कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए फर्म के माध्यम से विकास कार्य कराने का शासनादेश लागू किया गया हैं ताकि विकास कार्यों में पारदर्शिता हो और सरकारी धन का दुरूपयोग न हो।इसके लिए सबसे पहले ग्राम पंचायतों को निविदा प्रकाशन करानी पड़ती हैं इसके बाद फर्म का चयन किया जाता हैं लेकिन दुद्धी ब्लॉक में टेंडर प्रकाशन और फर्म चयन से ही साँठ -गांठ शुरू हो जाती हैं।ग्राम पंचायतों द्वारा फर्म के नाम भुगतान करके संबंधित विभाग सरकारी धन का बंदरबाँट करने की आशंका जतायी जा रही हैं। दुद्धी ब्लॉक के कई ऐसे ग्राम पंचायत हैं जहाँ रीबोर, कायाकल्प, सीसी रोड सहित अन्य कार्यों के नाम पर एक दिन में लाखों -लाखों रूपये का भुगतान कर दिया गया। ग्राम पंचायत के धन को जिस तरह सप्लायरों के नाम भुगतान कर बंदरबाँट किए जा रहे हैं उससे बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरूपयोग करने की आशंका जतायी जा रही हैं।इस खेल में सप्लायर और संबंधित अधिकारी तो मालामाल हो रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ गाँव अपनी बदहाली पर आँसू बहाने को मजबूर हैं। यदि ग्राम पंचायतों में हुए मैटेरियल भुगतान की जाँच हो तो बंदरबाँट की खुलासे हो सकते हैं।
इनसेट -गाँव में वही कार्य कराते हैं सप्लायर जिसमें हो उनको लाभ
दुद्धी, सोनभद्र। गाँव में होने वाले विकास कार्य को अंदरखाने सप्लायर ही तय करते हैं और सप्लायर वहीं कार्य कराने का निर्णय लेते हैं जिस कार्य में अधिक से अधिक मैटेरियल वाला होता हैं। ताकि निम्न रेट वाले मैटेरियल का सप्लाई करने उच्च कोटि मैटेरियल का भुगतान कराकर मोटी कमाई की जा सके। गाँव में आपूर्ति होने वाले मैटेरियल भले ही थर्ड क्वालिटी के होते हैं लेकिन भुगतान अधिकतम रेट पर की जाती हैं और मैटेरिटल में भी चोरी की जाती हैं इसलिए गाँव में होने वाले विकास कार्य की गुणवत्ता सवालों के घेरे में रहती हैं। यदि इसकी उच्च स्तरीय जाँच हो तो मैटेरियल सप्लाई की पोल खुल सकती हैं।