
किसी विद्यालय की बाउंड्री ध्वस्त तो कहीं दिख रहे
तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।
चीफ़ ब्यूरो कमलेश पाण्डेय
8382048247
सोनभद्र। परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों के बीच कक्षाएं संचालित हो रही हैं। कई स्कूल में भवन के अलावा बॉउंड्री और गेट भी जर्जर हाल में हैं। विभाग भवन की तो जांच कराता है, लेकिन गेट और बाउंड्री की ऑडिट नहीं होती। किसी विद्यालय की बाउंड्री धराशायी हो गई है तो किसी विद्यालय का भवन क्षतिग्रस्त होने से छत की सरिया तक दिख रही है। दो साल पहले दुद्धी के पगडेवा गांव में स्कूल का गेट गिरने से एक छात्र की मौत हो गई थी। कुछ दिन तक मामला सुर्खियों में रहा, फिर ठंडे बस्ते में चला गया। जिले के 538 विद्यालयों के किचन जर्जर हैं। इनमें नौनिहालों का भोजन पक रहा है।सोनभद्र में प्राथमिक विद्यालय, पूर्व माध्यमिक विद्यालय और कंपोजिट विद्यालय मिलकर कुल 2061 परिषदीय विद्यालय चल रहे हैं। इन विद्यालयों में ढाई लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। शासन की ओर से स्कूलों की व्यवस्था सुधारने के लिए कायाकल्प अभियान चलाया जा रहा है। बावजूद इसके स्कूलों की स्थिति नहीं सुधर रही है। बेसिक शिक्षा विभाग की मानें तो महीने भर पूर्व 16 से 19 पैरामीटर के मापदंडों पर संतृप्त स्कूलों की संख्या 2061 हैं। लापरवाही के कारण कहीं टाइल्स, कहीं बाउंड्री तो कहीं शौचालय नहीं बने। रसोई घर, स्टोर रूम भी जर्जर हैं, मगर कागजों में काम पूरा दिखाकर वाहवाही लूटी जा रही है। कई जगहों पर आधा गिरी बाउंड्री हादसे को दावत दे रही है। जिले के 94 स्कूलों में सुरक्षित व स्वच्छ पेयजल का अभाव है। 512 रसोईघर तक निरंतर जलापूर्ति का अभाव है। 338 से अधिक स्कूलों में रेलिंग युक्त रैंप नहीं है। 664 से अधिक स्कूलों में इंटर लाकिंग टाइल्स नहीं है। करीब 150 स्कूलों में सुरक्षित वायरिंग नहीं हुई है। 1564 स्कूलों में एमडीएम शेड नहीं हैं। जहां बच्चे बैठकर भोजन कर सकें। 600 से अधिक स्कूलों के प्लास्टर में मरम्मत की जरूरत है। 412 स्कूलों में पर्याप्त डेस्क और बेंच नहीं हैं। 1052 से अधिक स्कूलों में दिव्यांग शौचालय नहीं हैं। करीब 400 स्कूलों में लड़कों के लिए यूरिनल नहीं हैं।सदर ब्लॉक के ही कंपोजिट विद्यालय तिलौली का भी कुछ ऐसा ही हाल है। दो वर्ष से अधिक समय से बाउंड्री धराशायी है। परिसर नशेड़ियों का अड्डा बन गया है। एक से कक्षा पांच तक वाले परिसर का बालक-बालिका शौचालय ध्वस्त है। पास में क्षतिग्रस्त चहारदीवारी का छोटा-छोटा हिस्सा है। जो कभी थी बच्चों या कर्मचारियों के ऊपर गिर सकता है। हैंडवाश यूनिट भी बदहाल है।
सदर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय भड़रा खुर्द की बाउंड्री चार साल से टूटी है। गेट भी नहीं लगा है। करीब ढाई वर्षों से यहां का बालक-बालिका शौचालय अनुपयोगी है। दोनों में दरवाजे जर्जर स्थिति में हैं। न तो इसपर बीएसए, डीपीआरओ और ग्राम प्रधान की नजर पड़ी। ऐसे में यहां के बच्चे वर्षों से खेत में शौच के लिए जाते हैं।
निर्माण से अब तक नहीं बनी बाउंड्री
प्राथमिक विद्यालय महुआंव खुर्द में निर्माण और संचालन के वर्षों बाद भी बाउंड्री का निर्माण नहीं कराया जा सका है। स्कूल दो तरफ खेत से घिरा हुआ है। यहां महज दो ही कमरे हैं, जिसमें कक्षा एक से पांच तक के बच्चे पढ़ते हैं। हैंडवाश यूनिट भी महीनों से क्षतिग्रस्त है। पीछे खेत होने से किट-पतंगों का खतरा हमेशा बना हुआ है।
विद्यालय का भवन क्षतिग्रस्त, दिख रही छत की सरिया
दुद्धी। स्थानीय ब्लॉक संसाधन केंद्र के प्राथमिक विद्यालय मनबसा, प्राथमिक विद्यालय डूमरडीहा, कंपोजिट विद्यालय बैरखड़ तीनों विद्यालय क्षतिग्रस्त हैं। छत का सरिया दिखाई दे रहा है। तीनों स्कूलों में कई कमरे जर्जर हैं तो कहीं पूरी बिल्डिंग क्षतिग्रस्त है। विद्यालय के अलावा लगभग पचास फीसदी के बाउंड्रीवाल व गेट क्षतिग्रस्त है। इसका कायाकल्प भी हो चुका है। इसकी जांच कराई जाए तो लाखों रुपये का बंदरबांट सामने आ सकता है। प्राथमिक विद्यालय मनबसा के प्रधानाध्यापक हीरा सिंह ने कहा कि जर्जर विद्यालय से लगातार बरसात में पानी टपक रहा है। इसकी जानकारी सभी अधिकारियों को है। प्राथमिक विद्यालय डूमरडीहा के प्रधानाध्यापक मनोज जायसवाल ने बताया कि विद्यालय का कायाकल्प हुआ है। लेकिन दीवार पर पुट्टी से चमकाया गया है। लेकिन छत से लगातार पानी टपक रहा है। बीईओ प्रेम शंकर राम ने कहा कि इस संबंध में पूरी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जा चुकी है। जिला प्रशासन द्वारा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। पहले दर्जनों विद्यालय जर्जर थीं जिसको ढहाया गया है। तीन विद्यालय बचे हैं जल्द ही इन्हें भी ध्वस्त कराया जाएगा।
जर्जर भवनों का सत्यापन कराया जा रहा है। पूर्व में जर्जर चिन्हित भवनों को गिराया गया है। बॉउंड्री और गेट की मरम्मत कराई जा रही है। सर्वे में जो भी भवन जर्जर मिलेंगे, उन्हें भी नियमानुसार ढहाया जाएगा। -मुकुल आनंद पांडेय, बीएसए