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बिजली विभाग का निजीकरण करना जनता को भी पड़ सकता है भारी

बिजली विभाग का निजीकरण करना जनता को भी पड़ सकता है भारी


तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।

 

 

चीफ़ ब्यूरो कमलेश पाण्डेय

8382048247

 

मिर्जापुर विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि बिजली राजस्व के बकाए पर है निजी घरानों की नजर : बकाये की धनराशि का भुगतान न करने और करार की कई शर्तों का उल्लंघन करने के कारण आगरा में टोरेंट पावर कंपनी का फ्रेंचाइजी करार रद्द करने की मांग : निजीकरण के नाम पर किए जा रहे उत्पीड़न के विरोध में बिजली कर्मियों का प्रदेश व्यापी प्रदर्शन जारीविद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे हो रहे घोटालों में बिजली राजस्व के बकाए की धनराशि को एक बड़ी वजह बताया है। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के पीछे चल रहे कई घोटाले में निजी घरानों की नजर विद्युत वितरण निगमों के राजस्व बकाये पर रहती। उत्तर प्रदेश में आगरा इसका उदाहरण है जहां टोरेंट पावर कंपनी ने 15 साल गुजर जाने के बाद भी राजस्व बकाये की धनराशि पॉवर कॉरपोरेशन को नहीं दी है।

संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री श्री अरविंद कुमार शर्मा के इस वक्तव्य का स्वागत किया है कि मनमाने ढंग से कुशल संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटा दिया गया है जिससे बिजलीव्यवस्था प्रभावित हो रही है। संघर्ष समिति ने कहा है कि जब ऊर्जा मंत्री ने यह स्वीकार कर लिया है कि संविदा कर्मियों को गलत ढंग से हटाया गया है और उनके हटाए जाने से बिजली व्यवस्था प्रभावित हो रही है तब उन्हें तत्काल पावर कारपोरेशन को निर्देश देना चाहिए कि मार्च 2023 की हड़ताल में हटाए गए संविदा कर्मी और विगत कुछ महीनो मेंनिजीकरण के नाम पर हटाए गए सभी संविदा कर्मियों को तत्काल बहाल किया जाय।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि जब आगरा शहर की बिजली व्यवस्था 01 अप्रैल 2010 को टोरेंट पावर कंपनी को सौंपी गई तब आगरा शहर का बिजली राजस्व का बकाया लगभग 2200 करोड रुपए था। समझौते के अनुसार यह धनराशि टोरेंट पावर कंपनी को एकत्र कर पावर कारपोरेशन को वापस करनी थी। पावर कॉरपोरेशन इस धनराशि का 10% इंसेंटिव के रूप में टोरेंट पावर कंपनी को देती। लगभग 15 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो गया है और टोरेंट पावर कंपनी ने एक पैसा भी पावर कारपोरेशनको वापस नहीं किया है। अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी करार के अंतर्गत यह एक प्रमुख शर्त थी जिसका टोरेंट पावर कंपनी खुले आम उल्लंघन कर रही है। इसके अतिरिक्त कैग की रिपोर्ट में टोरेंट पावर कंपनी पर कई शर्तों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। संघर्ष समिति ने मांग की है कि राजस्व बकाये की धनराशि हड़प जाने और करार की कई शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में टोरेंट पावर कंपनी का अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी करार तत्काल निरस्त किया जाए।

संघर्ष समिति ने कहा है कि पूर्वांचल निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में राजस्व बकाये की धनराशि लगभग 66 हजार करोड रुपए है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा तैयार किए गए निजीकरण

बिजली विभाग का निजीकरण करना जनता को भी पड़ सकता है भारी

 

मिर्जापुर विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि बिजली राजस्व के बकाए पर है निजी घरानों की नजर : बकाये की धनराशि का भुगतान न करने और करार की कई शर्तों का उल्लंघन करने के कारण आगरा में टोरेंट पावर कंपनी का फ्रेंचाइजी करार रद्द करने की मांग : निजीकरण के नाम पर किए जा रहे उत्पीड़न के विरोध में बिजली कर्मियों का प्रदेश व्यापी प्रदर्शन जारी*

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे हो रहे घोटालों में बिजली राजस्व के बकाए की धनराशि को एक बड़ी वजह बताया है। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के पीछे चल रहे कई घोटाले में निजी घरानों की नजर विद्युत वितरण निगमों के राजस्व बकाये पर रहतीहै। उत्तर प्रदेश में आगरा इसका उदाहरण है जहां टोरेंट पावर कंपनी ने 15 साल गुजर जाने के बाद भी राजस्व बकाये की धनराशि पॉवर कॉरपोरेशन को नहीं दी है।

संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री श्री अरविंद कुमार शर्मा के इस वक्तव्य का स्वागत किया है कि मनमाने ढंग से कुशल संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटा दिया गया है जिससे बिजली

व्यवस्था प्रभावित हो रही है। संघर्ष समिति ने कहा है कि जब ऊर्जा मंत्री ने यह स्वीकार कर लिया है कि संविदा कर्मियों को गलत ढंग से हटाया गया है और उनके हटाए जाने से बिजली व्यवस्था प्रभावित हो रही है तब उन्हें तत्काल पावर कारपोरेशन को निर्देश देना चाहिए कि मार्च 2023 की हड़ताल में हटाए गए संविदा कर्मी और विगत कुछ महीनो मेंनिजीकरण के नाम पर हटाए गए सभी संविदा कर्मियों को तत्काल बहाल किया जाय।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि जब आगरा शहर की बिजली व्यवस्था 01 अप्रैल 2010 को टोरेंट पावर कंपनी को सौंपी गई तब आगरा शहर का बिजली राजस्व का बकाया लगभग 2200 करोड रुपए था। समझौते के अनुसार यह धनराशि टोरेंट पावर कंपनी को एकत्र कर पावर कारपोरेशन को वापस करनी थी। पावर कॉरपोरेशन इस धनराशि का 10% इंसेंटिव के रूप में टोरेंट पावर कंपनी को देती। लगभग 15 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो गया है और टोरेंट पावर कंपनी ने एक पैसा भी पावर कारपोरेशनको वापस नहीं किया है। अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी करार के अंतर्गत यह एक प्रमुख शर्त थी जिसका टोरेंट पावर कंपनी खुले आम उल्लंघन कर रही है। इसके अतिरिक्त कैग की रिपोर्ट में टोरेंट पावर कंपनी पर कई शर्तों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। संघर्ष समिति ने मांग की है कि राजस्व बकाये की धनराशि हड़प जाने और करार की कई शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में टोरेंट पावर कंपनी का अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी करार तत्काल निरस्त किया जाए।

संघर्ष समिति ने कहा है कि पूर्वांचल निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में राजस्व बकाये की धनराशि लगभग 66 हजार करोड रुपए है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा तैयार किए गए निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट में लिखा है कि निजीकरण के बाद निजी कंपनियां राजस्व बकाये की धनराशि का मात्र 40% वसूल कर पावर कारपोरेशन को वापस करेंगी। इसका तात्पर्य यह हुआ कि राजस्व बकाये की शेष 40हजार करोड रुपए की धनराशि निजी घरानों की जेब में मुफ्त में चली जाएगी। यह अपने आप में बड़ा घोटाला है। आगरा में टोरेंट पावर कंपनी का उदाहरण सामने लेकर चलें तो 40% धनराशि भी निजी कंपनियां वसूलकर पावर कॉरपोरेशन देगी या नहीं इस पर सवाल लगा हुआ है ?

संघर्ष समिति ने एक बार पुनः दोहराया है कि निजीकरण के पीछे मेगा घोटाला चल रहा है । उड़ीसा में निजीकरण और नागपुर, औरंगाबाद, जलगांव, समस्तीपुर, भागलपुर, गया, रांची, जमशेदपुर, उज्जैन, सागर, ग्वालियर में अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी के प्रयोग पूरी तरह से असफल रहे हैं। इन असफल प्रयोगों को उत्तर प्रदेश की गरीब जनता पर थोपने के बजाय उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा में किया गया निजीकरण और आगरा में चल रहा अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी करार तत्काल रद्द किया जाए।

संघर्ष समिति ने कहा कि फेशियल अटेंडेंस के नाम पर लगभग 8000 बिजली कर्मियों का जून माह का वेतन अभी तक नहीं दिया गया है जबकि वे लगातार काम कर रहे हैं। जुलाई माह समाप्त होने जा रहा है ऐसे में यह बहुत ही अमानवीय उत्पीड़न है। संघर्ष समिति ने मांग की कि बिजली कर्मियों को जून माह का वेतन तत्काल जारी किया जाए।

संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 246 वें दिन बिजली कर्मियों ने वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किया गया।आज की विरोध सभा मुख्य अभियंता कार्यालय फतहा में इंजीनियर दीपक सिंह की अध्यक्षता एवं संचालक विनोद चौधरी के नेतृत्व में संपन्न हुई जिसमें इंजीनियर रामबहादुर यादव शेखर सिंह अंशु कुमार पांडे राम सिंह प्रमोद कुमार पंकज कुमार विनय कुमार गुप्ता विनय कुमार प्रमोद कुमार राजेश कुमार गौतम रमेश कुमार रामजन्म यादव धर्मेंद्र बाबू सूयस आशुतोष बाजपेई दीपक गुप्ता आदि मौजूद रहे


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