
खारी झारखण्डी शिव मंदिर प्राचीन समय से आस्था का केन्द्र
तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।
-शिवरात्रि पर्व पर किया जाता है जलाभिषेक
-शिवलिंग का निरंतर बढ़ रहा आकार
-मंदिर समिति करती है देख भाल
-गत वर्ष कराई गई शिव परिवार की स्थापना
रिज़वान सिद्दीकी
बिजनौर । कस्बा झालू के निकटवर्ती ग्राम खारी स्थित झारखण्डी शिव मंदिर प्राचीन समय से आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते है। एवं शिव भक्त शिवरात्रि के पर्व पर मनोकामना लेकर कांवड़ चढ़ाते हैं। लगभग दो शताब्दी पूर्व खारी में महर्षियों की जमींदारी थी। मंदिर वाले स्थान पर झाड़फूंस बहुतायात मात्रा में थे। भूमि को खेती योग्य बनाने हेतु महर्षियों ने मजदूरों द्वारा सफाई अभियान चलाया। सफाई के दौरान भूमि में एक शिवलिंग नुमा पत्थर दिखाई दिया। मजदूरों ने काफी गहराई तक खुदाई की, लेकिन पत्थर का अंत दिखाई नहीं दिया। इस दौरान मजदूर का फावड़ा पत्थर पर लग गया। फावडे़ के लगते ही पत्थर से दूध की धार निकलने लगी। यह बात क्षेत्र में जंगल की आग की तरह फैल गई। जितने मुंह उतनी बात। लोग इसे चमत्कार मानने लगे। इसी बीच दूर-दूर तक जमीन से शिवलिंग निकलने की सूचना पहुंच गई। लोग पूजा अर्चना करने लगे। वहां चढावा चढ़ने लगा। तब सूरजदों ने श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए इस स्थान पर मंदिर निर्माण कराना शुरु कर दिया।
बुजुर्ग संतोष गोयल बताते है कि तब से आज तक शिवलिंग का आकार और लम्बाई प्रति वर्ष बढ़ती रहती है। वर्तमान में शिवलिंग की लम्बाई तीन फीट एवं मोटाई 1.5 फीट है। खुदाई के दौरान शिवलिंग पर पड़े फावडे़ का निशान आज भी मौजूद है। श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य ही पूरी होती है। प्रत्येक सोमवार को व शिवरात्री एवं सावन माह में श्रद्धालु मंदिर में कावंड चढ़ाने आते है। शिवरात्री पर बडे़ मेले का आयोजन किया जाता है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ0 धर्मवीर सिंह के निर्देशन में उपाध्यक्ष सूरज सिंह मंदिर की देख भाल करते है। मंदिर परिसर में शिव परिवार, राम दरबार, गणेश जी, कृष्ण-सुदामा, क्षीर सागर, मां सरस्वती, श्रवण कुमार, महर्षि दधीजी, हनुमान, शनिदेव, मां संतोषी, यमराज आदि भगवान जी की मूर्तियां स्थापित है। जोकि श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने रहती हैं। गत वर्ष शिवलिंग से दक्षिण दिशा में शिव परिवार की स्थापना करायी गई। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है, जिस कारण झारखंडी शिव मंदिर प्राचीन समय से आस्था का प्रतीक है। मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शिवलिंग निरंतर बढ़ता चला आ रहा है।