
सृष्टि में सबसे ऊपर कुछ है तो वह भगवान के प्रति निस्वार्थ प्रेम : भावना किशोरी
तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।
–श्रद्धालुओं से कथा को सुनकर अपने जीवन मे अपनाने का आव्हान
रिज़वान सिद्दीकी
झालू। निकटवर्ती ग्राम त्रिलोकपुर के माँ कालिका देवी मंदिर के प्रांगण में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक व्यास भावना किशोरी ने धुंधकारी की कथा का वर्णन किया। यह कथा बताता है कि धुंधकारी, जो अपने पापों के कारण प्रेत योनि में भटक रहा था, कैसे भागवत कथा सुनने से मुक्त हो गया। कथा में अमर कथा का बहुत ही सुंदरता के साथ वर्णन किया। कथा में व्यास भवना किशोरी ने कहा कि इस पूरी सृष्टि में सबसे ऊपर कुछ है तो वह निस्वार्थ प्रेम है। इसलिए भगवान से केवल निस्वार्थ से प्रेम करना चाहिए। क्योंकि भगवान प्रेम भाव के भूखे होते है। श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए आगे भगवान के अवतारों का वर्णन करते हुए भगवान के 24 अवतारों के बारे में बताते हुए कहा कि वराह अवतार का विस्तार से वर्णन किया। श्रीमद्भागवत कथा में व्यास भावना किशोरी के श्रद्धालुओं से कथा को सुनकर अपने जीवन मे अपनाने का आव्हान किया। श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से कलयुग में मनुष्य का उद्धार होता है। श्रीमद्भागवत कथा में इशिका, शिवानी, आराध्य, मुख्तयार सिंह, अनुराग, राजपाल, हरवीरी, अनिता, ऋषव, संजीव, पंडित सुरेश शर्मा, बबिता, कुसुम आदि श्रद्धालुओं ने कथा का रसपान किया।