
घोरावल क्षेत्र के एक युवक ने किया ऑटोमेटिक प्रेशर इंजन आविष्कार
तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।
सोनभद्र ( ब्यूरो )।
कमलेश पाण्डेय
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अपना जनपद सोनभद्र प्रतिभा का धनी माना जाता है।संसाधन के अभाव में भी यहां के लोग समय-समय पर नया नया आविष्कार कर लोगो को अचंभित करते रहते है। इसी कड़ी में सोनभद्र जनपद के घोरावल ब्लाक के एक किसान ने स्वयं अपने घर पर एक नई खोज कर लोगो को चौका दिया है। बेहतर शिक्षा और उच्च तकनीकी ज्ञान का अभाव होने के बावजूद भी एक अनोखा आविष्कारों करके लोगो को आकर्षित कर रहा है जो जनपद सोनभद्र के लिए ही नहीं अपितु अपने देश के लिए भी अजूबा है । जनपद सोनभद्र के घोरावल तहसील के एक छोटे से गांव लोहांडी के एक व्यक्ति ने एक ऐसे इंजन का आविष्कार किया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है जिसे देखने के लिए अन्य गांव से लोग युवक के घर पर पहुंच रहे हैं।जानकारी के अनुसार ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐसे इंजन का आविष्कार किया गया है जो न तो डीजल से चलता है न पेट्रोल ,गैस, बैटरी ,सोलर ऊर्जा से बल्कि यह अपने तरीके का एक अनोखा इंजन है जो एक प्रकार के प्रेशर को जनरेट करके कार्य करता है। इंजन निर्माता की माने तो इस इंजन को चलाने में किसी भी प्रकार के बाहरी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती। युवक का दावा है कि इस इंजन से कोई भी कार्य आसानी से किया जा सकता है ।जैसे ट्रेन, बस, ट्रक, पानी का जहाज, ट्रैक्टर आदि को 24 घंटे विद्युत देने में भी यह इंजन सक्षम है।गांव के वैज्ञानिक ने दावा करते हुए बताया कि इस इंजन में 15 साल में सिर्फ एक बार मोबील या पानी डाला जाएगा ।इस इंजन से कोई प्रदूषण नहीं होता, इस इंजन को जेम्स वांट के द्वारा किया गया भाप के आविष्कार के बाद बाहर से चलने वाला इंजन का आविष्कार किया हुआ है। युवक ने दावा किया है कि इस तरीके का आविष्कार पूरी दुनिया में एकलौता है।सोनभद्र के लोहांडी गांव में इस अविष्कार की अब खूब चर्चा होने लगी है। आविष्कारक ओमप्रकाश मौर्य और उनके पुत्र सतीश कुमार मौर्य ने अपने निजी कार्य हेतु इस इंजन का आविष्कार किया है। नए आविष्कार की सूचना मिलने पर स्थानीय पूर्व विधायक सहित अन्य गांव के लोग भी पहुंच कर नई तकनीकी का आंकलन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर यह आविष्कार सफल रहा तो यह ऊर्जा के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा और ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों पर भारत की निर्भरता खत्म करने में सहायक सिद्ध होगा ।फिलहाल यहां कोई फैक्ट्री या कारखाना नहीं है,परन्तु अपने निजी कार्य हेतु स्वयं के मस्तिष्क से नई खोज की गई है।जिसे अपने देश के लोग इसे जुगाड़ू व्यवस्था का भी नाम देते हैं।यदि उक्त आविष्कारक सफल रहा तो ईंधन पर व्यय होने वाले धन को आम व्यक्ति बचा सकता है।