
सर्पदंश के बाद अंधविश्वास ले रहा लोगों की जान
तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।
चीफ़ ब्यूरो कमलेश पाण्डेय
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जिले के अलग-अलग इलाकाें में झाड़फूंक करने वालाें पर शिकंजा कसने में प्रशासन नाकाम रहा है। ओझाओं के फेर में पड़कर सांप काटने पर झांड़फूंक कराने वालों की जान जा रही है। सर्पदंश के बाद समय से अस्पताल पहुंचने पर जान बचाई जा सकती है।कुछ संज्ञान में होने के बावजूद इस पर कार्रवाई के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। बारिश के बीच जिले में सर्पदंश की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। बीते एक माह में सर्पदंश के चलते दस से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।सर्पदंश में मौत की बढ़ती घटनाओं के बीच आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के तमाम जागरूकता कार्यक्रमों की पोल खुलती नजर आ रही है। सर्पदंश से मौत के मामलों में 80 फीसदी घटनाओं में जान गंवाने वालाें की कहानी कुछ एक जैसी है।
लोग पहले झाड़फूंक करने वाले ओझाओं का रुख कर रहे हैं। स्थिति बिगड़ने पर काफी देर से अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे उनकी मौतें हो रही हैं। जिले में अंधविश्वास और अज्ञानता काे बढ़ावा दे रहे ओझाओं पर शिकंजा कसने में पुलिस-प्रशासन नाकाम है।
मासूम को कोबरा ने डसा, झाड़-फूंक में मौत: करमा थाना क्षेत्र के गणेशपुर (सिरविट) गांव में शनिवार को घर में खेल रहे मासूम को सांप ने डस लिया। परिजन उसे लेकर घंटों झाड़-फूंक कराते रहे। समय से उपचार न मिलने से अभिनव (5) उसकी मौत हो गई।
झाड़-फूंक में उलझे रहे परिजन, छात्रा की मौत : दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के बघाड़ू गांव में 15 मई की रात शौच के लिए निकली राधिका (9) को सर्प ने पैर में डस लिया।
राधिका के परिजनों ने हॉस्पिटल न पहुंच कर कई गांवों में करीब 20 घंटे तक अलग-अलग ओझा से झाड़-फूंक कराई। छात्रा की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी और शाम के वक्त की मौत हो गई।
नेत्रहीन की झांड़फूंक से चली गई जान : चोपन थाना क्षेत्र स्थित ग्राम सिंदुरिया में चार दिन पूर्व सर्पदंश का शिकार हुई नेत्रहीन महिला की जान झाड़-फूंक के चक्कर में चली गई।
लालती देवी 45 ने अपने घर पर एक मुर्गे को फड़फड़ाते सुना। वह मुर्गे को बचाने के लिए उस स्थान पर पहुंचीं। मुर्गे को पकड़ने के प्रयास में सांप ने लालती देवी के हाथ में डस लिया था।