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महिला डॉक्टर को गिरफ्तारी का डर दिखाकर 87 लाख ठगे:कस्टम ऑफिसर बनकर धमकाया, कहा- आपके पार्सल में ड्रग्स और जाली पासपोर्ट मिले..

महिला डॉक्टर को गिरफ्तारी का डर दिखाकर 87 लाख ठगे:कस्टम ऑफिसर बनकर धमकाया, कहा- आपके पार्सल में ड्रग्स और जाली पासपोर्ट मिले..


तेजस्वी संगठन ट्रस्ट।

 

कमलेश पाण्डेय

8382048247

 

*जोधपुर*

 

जोधपुर में साइबर ठगों ने रिटायर्ड महिला डॉक्टर को 17 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 87 लाख रुपए ठग लिए। ठगों ने खुद को कस्टम ऑफिसर और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर कहा कि आपके पार्सल में नशीली सामग्री, जाली पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड मिले हैं।

 

इसके बाद अरेस्ट वारंट का डर दिखाकर रुपए ट्रांसफर करवा लिए। पूरा घटनाक्रम 20 अगस्त से 5 सितंबर तक चला। पीड़िता ने 19 सितंबर को रातानाडा थाने में मामला दर्ज करवाया। पुलिस जांच में जुटी है।

 

कस्टम ऑफिसर और पुलिस अधिकारी बनकर की ठगी

थानाधिकारी प्रदीप डागा ने बताया- रिटायर्ड महिला डॉक्टर अरुणा सोलंकी (70) निवासी रातानाडा के साथ डिजिटल अरेस्ट की घटना हुई है। पीड़िता ने रिपोर्ट में बताया- 20 अगस्त को मुझे कस्टम ऑफिसर प्रमोद कुमार के नाम से फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि उनका एक पार्सल मुंबई में आया हुआ है, जिसमें नशे की सामग्री मिली है। कई जाली पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड भी हैं। यह मामला मुंबई पुलिस को दिया गया है। इसके बाद मुंबई पुलिस के अधिकारी सुनील कुमार ने फोन कर वित्तीय जानकारी लेकर घटना को अंजाम दिया।

 

*अरेस्ट वारंट का डर दिखाकर ली खातों की जानकारी*

पुलिस के अनुसार ठगों ने डॉ. सोलंकी से उनके बैंक खातों और फिक्स डिपोजिट के बारे में जानकारी ली। पूछताछ के बाद चार लेटर भेजे, जिसमें सीबीआई के साथ एग्रीमेंट, एसेट सीजर, अरेस्ट वारंट और केस रिपोर्ट पेपर भी थे। यह सब सरकारी कागज देखकर डॉक्टर घबरा गईं और डरकर सारी जानकारी ठगों को दे दी।

 

ठगों ने डॉक्टर से तीन साल का वित्तीय लेन-देन ले लिया। इसके बाद दबाव देकर 51 लाख की एफडी तुड़वाकर खाते में डलवाई। रुपयों को तुरंत खाते से निकालकर दूसरे खाते में ट्रांसफर करवा दिया। इस ट्रांजैक्शन के बाद हर दिन कॉल कर अरेस्ट करने की धमकी देते रहे। इसके बाद जमानत याचिका के लिए 8 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। ठग डॉक्टर को आश्वासन देते रहे कि पूरा पैसा वापस आ जाएगा।

 

*21 लाख रुपए की दूसरी एफडी तुड़वाकर रुपए लिए*

28 अगस्त को ठगों ने डॉक्टर से फोन पर कहा- आपके बाकी के एफडी को भी रिव्यू करना है। इस पर डॉक्टर ने मना कर दिया और पैसे लौटाने को कहा। इस पर ठगों ने धमकाया और 21 लाख रुपए की दूसरी एफडी भी तुड़वाकर खाते में ट्रांसफर करवा लिया।

 

*’नो क्राइम बॉन्ड’ के नाम पर 5 लाख लिए*

3 सितंबर को ठगों ने फिर कहा कि आपको ‘नो क्राइम बॉन्ड’ लेना पड़ेगा। इसके लिए 5 लाख रुपए लिए। 5 सितंबर को कहा कि रिफंड के लिए वकील काम करेगा। उसकी फीस के 2 लाख देने होंगे। आखिरकार डॉक्टर ने दो लाख और दिए। इसके बाद कॉल आने बंद हो गए। इस तरह ठगों ने कुल 87 लाख रुपए ऐंठ लिए थे। ठगी का एहसास होने पर डॉक्टर पुलिस के पास पहुंची।

 

*रिटायर्ड और बड़े अफसरों को टारगेट करते हैं ठग*

साइबर एक्सपर्ट की मानें तो साइबर ठग ज्यादातर ऐसे लोगों को टारगेट करते हैं, जो रिटायर हो चुके हैं या फिर फिलहाल कोई बड़े अफसर या डॉक्टर-इंजीनियर हैं। इसके पीछे की वजह है- इनके बैंक अकाउंट में मोटी रकम होने की गारंटी। ठगों को पता होता है कि इनके अकाउंट में ज्यादा पैसे होंगे। साथ ही इनकी जिंदगी इतनी बीत चुकी होती है कि उनके कौन-कौन से दस्तावेज कहां-कहां इस्तेमाल हुए हैं, ये ठीक से इन्हें याद नहीं होगा।

 

*साइबर ठग कैसे तय करते हैं अपना शिकार?*

साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग रिटायर अफसरों, डॉक्टर, शिक्षकों और इंजीनियर का डेटा खरीदते हैं। ऐसे डेटा डार्क वेब (वो साइटों जो सामान्य सर्च में नहीं दिखती) पर आसानी से उपलब्ध होता है। साइबर अपराधी यहां से अपने टारगेट ग्रुप का डेटा खरीदते हैं। उदाहरण के लिए बैंक की डिटेल मिलने पर वो लोगों को फोन करते हैं और उन्हें उनके खाते की ही जानकारी देते हैं।

 

भरोसा जीतने के लिए सेविंग अकाउंट से लेकर FD तक में जमा राशि की पूरी डिटेल बताते हैं। मामला असली लगे, इसके लिए वो जिले के प्रशासनिक अफसरों के नाम का इस्तेमाल करते हैं। इन चालबाजों से सामने वाला इंसान अपराधियों पर भरोसा कर बैठता है। पीड़ित को लगता है कि वह सच में किसी मुसीबत में फंसने वाला है।


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